tag:blogger.com,1999:blog-2732822180615111468.post2355714440218395478..comments2023-09-28T18:10:49.505+05:30Comments on life's a kick: दिल्ली में बारिशSonal Singhhttp://www.blogger.com/profile/08173830766955340948noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2732822180615111468.post-48387912167298755962011-08-11T07:51:31.902+05:302011-08-11T07:51:31.902+05:30So true....very nice.So true....very nice.gulluhttps://www.blogger.com/profile/03325801445015435354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2732822180615111468.post-5609726016030788742011-08-05T14:24:05.493+05:302011-08-05T14:24:05.493+05:30जाँ निसार अख़्तर की यह गज़ल मुझे प्यारी है. अब आपक...जाँ निसार अख़्तर की यह गज़ल मुझे प्यारी है. अब आपकी यह कविता क्यों इस गज़ल को भी याद दिला गई, यह तो पता नहीं : <br /><br />हमने काटी हैं तिरी याद में रातें अक्सर<br />दिल से गुज़री हैं सितारों की बरातें अक्सर<br /><br />और तो कौन है जो मुझको तसल्ली देता<br />हाथ रख देती हैं दिल पर तिरी बातें अक्सर<br /><br />हुस्न शाइस्ता-ए-तहज़ीब-ए-अलम है शायद<br />ग़मज़दा लगती हैं क्यों चाँदनी रातें अक्सर<br /><br />हाल कहना है किसी से तो मुख़ातिब हो कोई<br />कितनी दिलचस्प, हुआ करती हैं बातें अक्सर<br /><br />इश्क़ रहज़न न सही, इश्क़ के हाथों फिर भी<br />हमने लुटती हुई देखी हैं बरातें अक्सर<br /><br />हम से इक बार भी जीता है न जीतेगा कोई<br />वो तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर<br /><br />उनसे पूछो कभी चेहरे भी पढ़े हैं तुमने<br />जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर<br /><br />हमने उन तुन्द हवाओं में जलाये हैं चिराग़<br />जिन हवाओं ने उलट दी हैं बिसातें अक्सरKSS Kanhaiya (के एस एस कन्हैया)https://www.blogger.com/profile/04512622874770441003noreply@blogger.com