मुन्नी बदनाम
होइजा खड़े-खड़े टुकुर-टुकुर का ताक रहे हो ? दम है तो आ के पकड़ लो हमरी कलाई। कस के लगा लो करेजवा से। काहे अतना सरीफ ब ने फिरते हो ? हद हो गयी भईया! ईंहा हम इसारा पर इसारा किए जा रहे हैं और तुम हो की लाजा के मुंह गाड़े जा रहे हो। समझ में नहीं आता हमको – तुम्हारा पूजा करें कि तुमको गरियावें। आही रे करमवा... प्यारो हुआ त एगो संत से। सच बता रहे हैं। समाज-उमाज का भाय और लोक-लाज का फिकिर नहीं होता त हम पड़े-पड़े राह नहीं देख रहे होते। धर के उगलवा लेते। बताओ , करते हो कि नहीं हमसे प्यार ? ई जो दस गो आलतू-फालतू बहाना लेकर हमरे भाई के पास आते रहते हो , इसका ईहे मतलब है न कि हमसे बियाह करना चाहते हो ? आ ऊ जो हर दिन तुम्हारे घर से निकलने अ ल उटने का टाइम डॉट हमरे टाइम से मिलता है , माने कि तुम हमपर नजर गड़ाए रहते हो ? अरू दीवाली के दिन , जब सब लोग हमारा रंगोली निहार रहा था अ तुम मुंह बा के हमको एक-टक ताक रहे थे , इसीलिए ना कि हम तुमको बहुत अच्छे लगते हैं ? और ऊ दिन भूल गए... जब हम तुमसे दो बार जान-बूझकर टकराए थे और तुम्हारा सिट्टी-पिट्टी उड़ गया था , बताओ , तु म्हरे बदन में भी बिजल...