तेरी मीरा बनी फिरती हूँ


कुछ ऐसे छूया है तेरे प्यार ने
कि संभाले न संभालती हूँ
गली-गली, शहर-शहर
तेरी मीरा बनी फिरती हूँ

तलाश नहीं किसी जश्न की
बारिश कि ताल पर थिरकती हूँ
हर मौसम में हर मिजाज़ में
तेरी मीरा बनी फिरती हूँ

न पूछ मेरी दीवानगी का सबब
तू वो खुदा है जिसपर मरती हूँ
सोते-जागते, उठते-बैठते
तेरी मीरा बनी फिरती हूँ

तो क्या गर पायी न तुझे
तेरी याद में रोज़ संवरती हूँ
हँसती -खेलती, नाचती-गाती
तेरी मीरा बनी फिरती हूँ

तेरा साथ न मिल पाया तो क्या
तेरे हिज्र से गुज़र करती हूं
तेरे ख्यालों की चादर पहनकर
तेरी मीरा बनी फिरती हूं

फर्क मिट गए हैं मुझमें और तुझमें
ज़माने से अब न डरती हूं
गुजारिशों-तलब को पीछे छोड़
तेरी मीरा बनी फिरती हूं

एक शुभचिंतक द्वारा सुझाया हुआ:

जीवन सागर की गहराइयों

के भंवर में नित घिरती हूँ

प्रीत सीपों की तलाश में

तेरी मीरा बनी फिरिती हूँ...

Comments

  1. Awesome...one of ur best ones...

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  2. शुक्रिया, दोस्त :)

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  3. Thanks dear. Dheeraj, aisa nahin hota to meera nahin hoti.

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  4. तो क्या गर पायी न तुझे
    तेरी याद में रोज़ संवरती हूँ
    हँसती -खेलती, नाचती-गाती
    तेरी मीरा बनी फिरती हूँ

    :)touched a chord within.

    woh khushnaseeb bhi khud hoga na kuch kam...
    jise na pake ke bhi uski yaadien liye aap savarte ho...
    salam hai us unrequited ishq ki zor ka
    jiski dhun me aap meera bane ab tak firte ho...

    P.S- As evident here, i reely suck at this..
    but i hope yu get what i am trying to say.

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  5. Karishma! so good to see you here :)
    and no, you don't suck at it. You just let it be known in straight-forward terms. Don't i love your talent girl!

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  6. Good he,.. bohot good he,, or apki wo shorya wali kavita you tube pr... awesome expression.. mam

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