दिल्ली में बारिश
दिल्ली में बारिश मज़ाक सा लगता है... ठीक वैसा, जैसा कभी तुमने मेरे साथ किया था आए थे, तो सिर्फ जाने के लिए मिले थे, जैसे एहसान जताने के लिए जितना सुकून दे न गए उससे कहीं अधिक बेचैनी बढ़ा गए तन तो गीला कर गए पर मन सूखा छोड़ गए बिन मौसम आए बिन मौसम बरसे पर जब मन से पुकारा, जब दिल से आह भरी, जब हाथ जोड़ कर बिनती की, जब आँसू तक राह देखते थक गए, तब तब ज़ालिम तब तुम न आए दिल्लगी करने के लिए कुछ और न मिला था क्या... जो मेरी तमन्नाओं के साथ खेलते रहे? तुम्हारा मज़ाक दिल दुखाने वाला मज़ाक ठीक दिल्ली की बारिश जैसा लगता है...