भत तेरी की


माँ मेरी,

पता चला कि माओं के लिए एक अलग सा दिन होने लगा है. Mothers’ Day. हंसी आई सुनकर कि जहाँ पूरा जीवन समर्पित करना भी कम पड़ जाए, वहां एक दिन के समर्पण से कैसे काम चला लेती है सभ्यता? खैर, जब मानवता की माँ, यानी धरती के लिए भी Earth Day होने लगा है, वहां इंसान क्या चीज़ है! अगर वसुंधरा को चेतना में सामने के लिए एक दिन का कार्यक्रम पर्याप्त है, तब माँ-बाप-भाई-बहन-पति-पत्नी-दोस्त-प्यार-इत्यादि...सबके दिवस मनाये जा सकते हैं.

हमको पता है कि तुम भत तेरी की  करके विषयांतर करोगी. इस मामले में पापा से विचार विमर्श  कर पाना कितना intellectually stimulating है. वो इसके पीछे के socio-economic परिवेश को समझ बूझकर कितना अच्छा विश्लेषण करते हैं. बचपन में पापा dinner table पर philosophical discussion यूँ ही कर बैठते थे और मेरा मुँह खुला का खुला रह जाता था. रौंगटे खड़े हो जाते थे. विचारों की वह स्पष्टता. अध्ययन की वह गहराई. अभिव्यक्ति का वह ज़ोर. आँखों से टपकता जूनून. आवाज़ में गरजता विश्वास. पापा तो हीरो ठहरे. हम कैसे मन्त्र मुग्ध हो जाते थे. आज भी हो जाते हैं.

लेकिन तुम्हारी बात अलग थी. Mother’s Day, Valentine’s Day, फलाना डे, ढिमकाना डे. तुम सब डे को न मनाती न ठुकराती. इन days को नकार कर मैं और पापा इन्हें संज्ञान में लेते. तुम अपनी भत तेरी की हंसी में भूलकर इन्हें तवज्जो देने भर की भी ज़रुरत नहीं समझती. तुम्हारे असीम सागर जैसे अस्तित्व में ये सभी डे अपना आकार ही खो बैठते. कोई तुम्हें शुभकामनाएं देता तो तुम हँसते हँसते ले लेती, नहीं देता तो भी हंसती ही रहती, और occasion कभी याद नहीं रखती. मूलतः तुमको इसके होने या न होने से घंटा फर्क पड़ता. मैं सोचती हूँ, इससे भी प्रबल प्रौढ़ता का परिचय हो सकता है क्या?

अमुक डे या आम डे, तुम्हारा रवैया हर दिन एक सा रहता:
·         किसी भी काम को फटाफट निष्कर्ष तक लाना.
·         कोई क्या बोलेगा, सोचेगा जैसी निरर्थक बातों पर समय न बर्बाद करना.
·         बे-अदबी का जवाब मुँह तोड़कर देना.
·         किसी को कलपते देख सहानुभूति का सागर, दया की देवी हो जाना,
·         किसी गैर के दुःख में रो पड़ना, खुशी में बच्चों सी ताली बजाकर जश्न मनाना.
·         जब तक न हंसने की वजह न हो, हँसते रहना.
·         सीधी और सच्ची बात करना. सीधी और सच्ची बात पूछना .
·         किसी भी शिशु को, परिवार, पड़ोसी या गैर का, गले से लगा लेना.
·         अपनी गलतियों और बेवकूफियों पर ठहाके मार कर हंसना.
·         मौका मिलते ही किसी की भी टांग-खिंचाई कर लेना.
·         आही रे हमार बाछी कहके हमको पुचकारना.

तुम्हारे लिए एक अमुक डे पर मुबारकबाद देना तुम्हारे भव्य व्यक्तित्व के नितांत विपरीत लगता है.

इस जीवन का हर डे, अगर तुमसे छाया मात्र भी सहानुभूति और सुख सीख ले, तब हर दिन माओं सी प्यारी, माओं सी संवेदनशील, और माओं सी नरम हो जाए.

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